कांग्रेस का आरोप: आरएसएस की साजिशें जारी
नई दिल्ली: कांग्रेस ने शुक्रवार को आरएसएस और बीजेपी पर प्रमुख विश्वविद्यालयों की बौद्धिक स्वतंत्रता को खतरे में डालने का आरोप लगाया। पार्टी ने कहा कि यूजीसी के नए नियम आरएसएस के एजेंडे को आगे बढ़ाने का प्रयास हैं। महासचिव जयराम रमेश ने कहा, “यह केवल शिक्षा के क्षेत्र को राजनीतिक अखाड़ा बनाने का प्रयास है।” उन्होंने इसे बौद्धिक अखंडता के लिए गंभीर खतरा बताया।
यूजीसी के नए नियम और विवाद
यूजीसी द्वारा हाल ही में जारी किए गए नियमों पर कांग्रेस ने गंभीर आपत्ति जताई है। रमेश ने कहा, “इन नियमों का उद्देश्य शिक्षा के क्षेत्र में आरएसएस की विचारधारा को थोपना है। यह छात्रों और शिक्षकों की स्वतंत्रता को सीमित करता है।” उन्होंने कहा कि यह कदम कैंपसों में गैर-गंभीर राजनीति को बढ़ावा देगा।
बीजेपी का प्रतिवाद
बीजेपी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कांग्रेस पर पलटवार किया। पार्टी के प्रवक्ता ने कहा, “कांग्रेस शिक्षा सुधारों से घबराई हुई है। यूजीसी के नियम छात्रों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए बनाए गए हैं। यह कांग्रेस के बचकाने आरोप हैं।” बीजेपी ने कहा कि यह कदम छात्रों को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए हैं।
छात्रों और शिक्षकों की प्रतिक्रिया
इस विवाद में छात्रों और शिक्षकों की राय बंटी हुई है। दिल्ली विश्वविद्यालय के एक छात्र ने कहा, “नई नीतियां छात्रों को राजनीति में उलझा सकती हैं। हमें शिक्षा पर ध्यान देना चाहिए।” वहीं, एक शिक्षक ने कहा, “अगर ये नियम पारदर्शिता बढ़ाते हैं तो यह सकारात्मक कदम हो सकता है।”
आरएसएस की भूमिका पर सवाल
कांग्रेस ने आरएसएस पर सीधा हमला करते हुए कहा कि यह संगठन शिक्षा संस्थानों पर कब्जा जमाना चाहता है। रमेश ने कहा, “आरएसएस ने हमेशा से शिक्षा को अपने एजेंडे के लिए इस्तेमाल किया है। अब यह खुले तौर पर नए नियमों के जरिए अपना मकसद हासिल करना चाहता है।”
सुधार या विवाद?
इस मुद्दे पर विशेषज्ञों का कहना है कि यह विवाद केवल राजनीति तक सीमित नहीं है। यह शिक्षा के भविष्य से भी जुड़ा हुआ है। जहां एक ओर कुछ लोग इसे सुधार मानते हैं, वहीं दूसरी ओर, कुछ इसे शिक्षा पर हमला करार देते हैं।
यूजीसी के नए नियमों को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच चल रही यह बहस केवल राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तक सीमित नहीं है। यह भारत के शिक्षा क्षेत्र में चल रहे गहरे विचारधारात्मक संघर्ष को उजागर करती है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह विवाद छात्रों और शिक्षा संस्थानों को कैसे प्रभावित करता है।