लखीमपुर हिंसा: गवाहों पर दबाव के आरोप
2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गवाहों को धमकाने के आरोपों को गंभीरता से लिया है। मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा टेनी, जो पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे हैं, पर गवाहों को प्रभावित करने का आरोप लगाया गया है। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी के एसपी को मामले की जांच करके 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि गवाहों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए और न्याय प्रक्रिया में कोई बाधा नहीं आनी चाहिए।
आरोपी पक्ष का बयान
आशीष मिश्रा के वकील ने इन आरोपों को निराधार बताया है। उन्होंने कहा कि उनके मुवक्किल को जानबूझकर फंसाने की कोशिश की जा रही है और गवाहों को धमकाने के आरोप पूरी तरह गलत हैं।
लखीमपुर हिंसा: घटना का विवरण
3 अक्टूबर 2021 को लखीमपुर खीरी में किसान प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में 8 लोगों की मौत हो गई थी। आरोप है कि आशीष मिश्रा की गाड़ी ने प्रदर्शनकारियों को कुचल दिया था। इस घटना के बाद देशभर में आक्रोश फैल गया था।
गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को गवाहों की सुरक्षा के लिए त्वरित और प्रभावी कदम उठाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि अगर गवाहों को धमकाने के आरोप सही साबित हुए, तो यह न्याय प्रणाली के लिए गंभीर चुनौती होगी।
निष्पक्षता पर जोर
कोर्ट ने जांच एजेंसियों से निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की मांग की है। कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी भी प्रकार की राजनीतिक या अन्य दबाव की स्थिति से बचना चाहिए।
जनता की प्रतिक्रिया
लखीमपुर हिंसा मामले ने जनता का ध्यान खींचा है। गवाहों को धमकाने की खबरों ने इस मामले को और भी संवेदनशील बना दिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पीड़ित पक्ष को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है।
सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी मामले में गवाहों की सुरक्षा और निष्पक्ष जांच पर जोर दिया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि न्यायपालिका इस मामले को लेकर गंभीर है और किसी भी प्रकार की अनियमितता बर्दाश्त नहीं करेगी।