देहरादून, (जनसभा भारत) : एंबुलेंस को रास्ता ना देना भारी पड़ सकता है। यातायात निदेशालय ने राज्य के सभी जिलों के लिए निर्देश जारी करते हुए साफ कहा है कि एंबुलेंस का रास्ता ना देने वालों के साथ सख्त एक्शन लिया जाए। इतना ही नहीं, साफ कहा गया है कि एंबुलेंस का रास्ता ना देने वाले की सोशल मीडिया के जरिए भी शिकयत मिलती है तो सख्त कार्यवाही होगी। इसके अलावा एप का इस्तेमाल कर यातायात पुलिस कार्रवाई करने में जुटा है।
चौराहों, तिराहों पर यातायात व्यवस्था के लिए नियुक्त पुलिस कर्मियों को निर्देशित किया जाए कि एम्बुलेंस को सर्वोच्च प्राथमिकता दें। यातायात पुलिस को बेहतर बनाने के लिए आधुनिक प्रशिक्षण कार्यक्रम कराये जा रहे है। आईआरटीई के साथ मिलकर निरीक्षक व उपनिरीक्षक के लिए रोड सेफ्टी मैनेजमेंट एंड एक्सीडेंट इंवेस्टीगेशन प्रशिक्षण कार्यक्रम 13 जनवरी 2021 से 15 जनवरी 2021 तक देहरादून में चलाया जाना प्रस्तावित है ।
प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य
-सड़क सुरक्षा, यातायात नियमों के कानूनों के सार को समझना।
2.ट्रैफिक कंट्रोल डीवाइस (रोड साइन, सिग्नल एंड रोड ट्रैकिंग ) की जानकारी।
-यातायात नियमों, सड़क सुरक्षा के उल्लंघनों की पहचान।
-सड़क दुर्घटनाओं की विवेचना व साक्ष्य संकलन।
-पहाड़ी क्षेत्रों में यातायात प्रबंधन ,प्रवर्तन व सड़क दुर्घटनाओं की विवेचना में आने वाली समस्याएं ।
उत्तराखंड ट्रैफिक आई एप हुआ आधुनिक
– उत्तराखंड ट्रैफिक आई एप में जिसका चालान होगा उसके चालान की जानकारी एप में रहेगी।
– चालान होते ही जिस वाहन संख्या का चालान होगा उस वाहन संख्या के स्वामी के मोबाईल पर चालान के भुगतान के लिए चला जायेगा।
-शिकायत व कार्यवाही का विवरण स्टेटस में आ जायेगा।
– जिसका चालान होगा उसकी फोटो चालान पर्ची में भी होगी ।
– यातायात निदेशालय ने ई-चालान का विवरण मंगवाया गया है कि ई-चालान मशीनों से प्रर्वतन की कार्यवाही ठीक प्रकार से की जा रहा है या नहीं। यातायात निदेशायल द्वारा आम लोगों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए ई-चालान मशीनों में ऑन लाइन पेमेंट एप की सुविधा भी उपलब्ध करायी जा रही है ।
निदेशक यातायात केवल खुरानाने बताया कि यह देखने में आ रहा है कि कुछ लोग एम्बुलेंस को रास्ता नहीं देते। ऐसा करना किसी के जीवन के लिए घातक हो सकता है। ऐसी शिकायतों को काफी गंभीरता से लेने की जरूरत है। एम्बुलेंस का रास्ता रोकने वालों के लिए एमवी एक्ट में धारा 194e के अन्तर्गत 10 हजार रुपये जुर्माने या छ: माह तक के कारावास या दोनों का प्रावधान भी है। ऐसे मामलों को काफी गंभीरता से लेते हुए कठोर कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए है।